नवरात्र की नवमी पर कन्याभोज में लगा ग्रहण


 


 


कानपुर। सनातन धर्म में नवरात्र के दिनों को शुभ माना जाता है और अष्टमी और नवमी के दिन नौ देवियों के प्रतिबिंब के रुप में कन्या भोजन कराया जाता है, लाकन पहली बार लाकडाउन के चलते ऐसा देखा जा रहा है कि कन्याभोज पर ग्रहण सा लग गया है। कोई भी अपनी बेटियों को नवमी के दिन गुरुवार को दूसरों के घर कन्या भोज के लिए नहीं भेज रहा है। जिनके घर में एक- दो बेटी हैं तो उन्ही को भोजन कराकर कन्या भोज का आर्शीवाद ल रहे है। जिनके घर पर बेटी ही नहीं है तो वह लोग मायूस होकर जो कन्याभोज में दान कर रहे हैं mypoor उस दान को लेकर गरीब बस्तियों जाकर कन्याओं को दे रहे हैंनवरात्र पर्व के दौरान कन्या पजन का बड़ा महत्व है नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिबिंब के रुप पूजने के बाद ही भक्तों का नवरात्र व्रत परा होता है। अपने सामर्थय के अनसार उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दर्गा प्रसन्न हो जाती हैं। सनातन धर्म की मान्यताओं के अनसार कन्याओं का देवियों की तरह आदर सत्कार और भोज कराने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख समृद्धि का वरदान देती । यही नहीं सनातन धर्म में वैसे भी किसी भी दिन कन्या भोज का बड़ा महत्व है, लेकिन अबकी बार नवरात्र में न तो मंदिरों के कपाट खुले और न ही कन्या भोज हो पा रहा है। जिससे भक्तों में निराशा का भाव देखने को मिल रहा है। ऐसे में आज गुरुवार को व्रती पुरुष और महिलाएं घरों पर ही पूजा करके माताजी का आशीर्वाद ले रहे हैंयहां तक तो व्रती लोग धैर्य बनाये रखे पर आज नवमी के दिन कन्या भोज न करा पाने से दखी हैं। जिनके घर में एक या दो बेटी हैं तो उन्ही को भोजन कराकर कन्याभोज का आर्शीवाद लिया जा रहा है और जिनके घर पर बेटी ही नहीं हैं तो वह लोग कछ अधिक ही द:ख मान रहे हैं और कन्या भोज में करने वाले दान को एकत्र कर गरीब बस्तियों में जाकर कन्याओं को दान कर रहे हैं। रावतपुर की रहने वाली मध कटियार ने बताया कि नवरात्र में नौ दिन व्रत रखते हैं और नवमी के दिन कन्या भोज के बाद ही भोजन करते हैं, पर अबकी बार लॉकडाउन के चलते कोई भी कन्या नहीं मिल पा रही है। घर में एक भी कन्या नहीं है, पड़ोसियों के यहां बुलाने गये पर कोई अपनी बेटी का भजने को तैयार नहीं हुआ। ऐसे में हमने तय किया कि जो भी दान कन्या भोज में हमें करना है उस दान को गरीब बस्तियों में जाकर कन्याओं को दान कर देंगें। काकादेव की व्रती निर्मला सिंह ने कहा कि हमारे घर पर एक ही कन्या है और उसी को नौ देवियों का प्रतिबिंब मानते हुए पूजा किया और भोजन करा कन्या भोज का आर्शीवाद लिया। बताया कि लाकडाउन के चलते जब कोई अपनी बेटियों को नहीं भेज रहा है तो हम भी अपनी बेटी को किसी के यहां नहीं भेजा। बर्रा की बुजुर्ग व्रती कमलावती तिवारी ने कहा कि आज पहली बार ऐसा हो रहा है जबबिना कन्या भाजक व्रत ताड़ रही हूं। कहा कि इस आपदा में धार्मिक अनुष्ठान भी करने को नहीं मिल पा रहा है। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए जारी लाकडाउन का सही से पालन होने को लेकर आज मंदिरों पर पुलिस पहरा सख्त रहा। पुलिस इस बात को भली भांति जानती थी कि धर्म के चलते लोग मंदिरों पर आने को नहीं मानेगें। मंदिरों मेंतमाम भक्तसबहसेही पहंचने लगेऔर मंदिर के बाहर ही पजा अर्चना शुरु कर दी पर पलिस की सख्ती के चलते उनकी एक न चली और भीड को एकत्र नहीं होने दिया गया। ऐसे में भक्तों पर निराशा रही और मायस होकर अपने घर को चले गये।लॉकडाउन में पुलिस की सख्ती केचलते सभी लोग घरों पर ही पूजा कर माताजी का आर्शीवाद लिये।